पेचिश रोग (Dysentery) का बाओकेमिक चिकित्सा के द्वारा उपचार

पेचिश रोग के परिचय एवं लक्षण – यह पेट का रोग है एवं आंत के ऊपर आक्रमण करता है । यह एक संक्रामक रोग है जो खाने पीने की वस्तु के माध्यम से फैलता है । बासी अर्थात सड़ा गला या प्रदूषित भोजन आदि का सेवन से ये रोग अधिक होता है । यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो सकता है परन्तु ऐसा देखने को कम मिलता है । इस रोग मे आंत मे सूजन के साथ घाव हो जाता है जिसके कारण रोगी का मल थोड़ा थोड़ा मात्रा मे निकलता है ।

पेचिश रोग मे पेट मे दर्द या मरोड़ होकर थोड़ा मल बाहर निकलता है, फिर कुछ देर बाद पेट मे मरोड़ या दर्द होकर शौच लगता है फिर थोड़ा मल निकलता है । यह क्रम दिन भर चलता रहता है । रोगी को दिन भर मे 10 से 20 बार तक पेट मे मरोड़ उठकर शौच हो सकता है। पेचिश रोग मे रोगी का मल लसदार, सफ़ेद आंव या खून के साथ थोड़ा मात्रा मे होता रहता है । किसी रोगी का मल केवल सफ़ेद आंव के रूप मे होता है एवं किसी रोगी का मल खून मिश्रित सफ़ेद आंव के रूप मे होता है। रोग 1 से 3 दिन मे उग्र रूप धारण कर लेता है।

पेचिश की बायोकेमिक दवा – Ferrum Phos 6x, Kali Mur 6x, Kali Phos 6x, Mag Phos 6x

दवा खाने की मात्रा – प्रत्येक दवा से 6 गोली लेकर थोड़ा पानी मे घोलकर प्रति 2 घंटा पर दें 5 दिन तक दें । उसके बाद प्रति 3 घंटा पर 5 दिन तक दें । रोग ठीक होने 7 से 10 दिन का समय लग सकता है ।

बच्चे को उम्र के हिसाब दवा दें ।

0 to 6 months – 1 tablet from each = 4 tablets,

6 months to 5 years – 2 tablets from each = 8 tablets,

5 to 10 years 3 tablets from each = 12 tablets,

10 to 12 years 4 tablets from each = 16 tablets,

12 to 18 years 5 tablets from each = 20 tablets.

रोगी का भोजन – दो दिन तक केवल गीला भात एवं आलू का चोखा दें । तीसरा दिन से गीला भात, मूंग दाल एवं आलू का सब्जी दें । सात दिन बाद से सामान्य भोजन दे सकते है ।

नोट – रोग अधिक गंभीर होने पर शुरुआत मे गीला चावल का माड़ देना अधिक लाभदायक होगा । रोगी अगर भोजन नहीं ले पा रहा हो तो दिन भर मे 5 – 7 बार दे सकते है ।

परहेज = गीला चावल, आलू का सब्जी या चोखा, माड़ एवं मूंग दाल के अतिरिक्त कुछ भी नही खाया पीया जा सकता है। बिस्तर पर लेटकर रहें अधिक हिलने डुलने पर पेट मे मरोड़ प्रारम्भ हो जाएगा । काम पर नहीं जाएँ, कोई भी भारी वस्तु नही उठाएँ । पैदल चलना, दौड़ना, व्यायाम करना, प्राणायाम करना, साइकल या मोटर साइकल चलाना, रेल, बस, टॅक्सी आदि मे सफर करना आदि रोग ठीक होने तक वर्जित है ।